Sunday, February 28, 2010

ज़िन्दगी मे अब भी कहीं तेरा असर सा है

दिल उदास तो नहीं है मगर
खालीपन ज़रा ज़रा सा है
कल छोड़ आये थे चीज़ अपनी कहीं
आज मंज़र थमा थमा सा है
मरने का गम और न जीने की फ़िक्र बाकी है
दिल मे उड़ता धुआं धुआं सा है
हिज्र में तेरे है तन्हाई जैसे
ज़िन्दगी मे अब भी कहीं तेरा असर सा है

-गरिमा सिंह

1 comment: